Wednesday, May 21, 2008

मैंने अपने मन के आँगन में
न्योता धूप तुम्हें ujaale के लिए
और तुम लिए चले आए beeti shaam
आसमां पर ghire उस baadal
की parchaai अपने chehre पर ....

3 comments:

Ashish Dubey said...

Is it on me ????

aisa kya kar diya maine? :-)

डाॅ रामजी गिरि said...

बहुत ही मोहक लफ्जों में ज़िन्दगी को न्योता दिया है...
बेहतरीन शब्द-विन्यास ,सुन्दर भावातीत रचना.

Rahul Bajpai said...

where are u it's ages since you wrote something?