Friday, February 29, 2008

सोने से पहले हर रोज की तरह
बाल संवारते वक्त अचानक से
महसूस हुआ तुम्हारा छूना मेरी गर्दन को
तुम्हारी आंच से घिर गई हूँ मैं
चंदन अगरू सी तुम्हारी महक ने
मेरे मन की सांकल खट खटा दी है
नींद नहीं आएगी आज रात
यूं ही उठ उठ कर जागती रहूंगी
सोचती हूँ बेकार ही बाल सँवारे आज रात...

Wednesday, February 27, 2008

रात भर नाम तुम्हारा ख़्वाब के लबों पर
सुबह नज़्म एक हसीन मेरी रूह पर

Monday, February 25, 2008

सुनो, मेरी आवाज की साँसे लौटा भी दो ना अब
बेचारी कब से गूंगी बेजान सी छटपटा रही है अपनी रूह को
जो साथ लेते गए हो तुम बैग में पैक कर के सफर को...

Sunday, February 24, 2008

मैं तुम्हारी कोई नहीं पर
तुम जाने कौन हो मेरे
कि तुम्हारे बगैर आज
बिना कृष्ण पक्ष के भी
छिपा है चाँद कहीं दूर
कहीं कहीं दिख जाते हैं तारे
झाड़ियों में छुपे जुगनुयों की तरह
ये रात भी मेरी ही तरह चुप -निस्तब्ध
कुछ नहीं बोलती , मेरी किसी का बात का
जवाब नहीं दे रही ....
कितनी ही बातें मन में आती हैं
कहूँ किस से बोलो जरा
नहीं होते जब तुम, बंद कली की
पंखुरियों से हो जातें हैं मेरे होंठ भी
जो तुम आओ तो चाँद खिले, सूर्य उगे
और खिले मेरे होंठों के फूल ....

Friday, February 22, 2008

बीच रात उठ के टटोला था बिस्तर
उठ के कस के चूमी थी तकिये की ठुड्डी
सुबह उस गुलाब का चेहरा क्यों नीला था....





रात के लब खामोश हैं
किताबें भी ऊब गयीं मुझसे
आज लोरी सो गई नींद के पहले

Wednesday, February 20, 2008

खरीदार गर हों आप तो कुछ लुत्फ़ आए हमें भी
यूं सर ए राह इस बाज़ार में खड़े हो बिकने का
वरना मजा क्या ख़ाक है इस भीड़ में गुम होने का ...


Tuesday, February 19, 2008

सुबह उठते ही अपना चेहरा बदला सा लगा मुझे
निशान अनजानी धड़कनों के मेरी आँखों की दहलीज पर
पीला वसंत आज गुलाबी फागुन सा लग रहा है...
धूप ,तूने क्या उस गुलाबी कांच को पिघलाया था कल...
इन दिनों अक्सर वो चेहरा जिसको देखा नहीं कभी
दिख जाता है आईने में मुस्कुराता हुआ मद्धम - मद्धम



Sunday, February 17, 2008

उसके हाथों से उसके टूटे ख्वाबों के कांच
समेट कर रख लिए मैंने अपनी पलकों में
और अब मेरे ख़्वाब कतराते हैं मेरी आँखों से .....


Friday, February 15, 2008

सड़कों के किनारे खड़े
पेड़ पलाश के बेचारे
सारे साल अकेले से
आज सजे अपने सुर्ख
दहकते फूलों से , इतराते
लहराते ,झूमते...
हवा में कच्चे पत्तों
की महक जो अब मेरी
साँसों में है ....
और वसंत मेरे मन में...