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नीम के साए तले फिर से खिलती मुस्कुराती ....पैंजी....
Wednesday, February 20, 2008
खरीदार गर हों आप तो कुछ लुत्फ़ आए हमें भी
यूं
सर
ए राह इस बाज़ार में खड़े हो बिकने का
वरना मजा क्या ख़ाक है इस भीड़ में गुम होने का ...
1 comment:
Kavi Kulwant
said...
अच्छी कोशिश है..
March 26, 2008 at 5:10 AM
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phool kabhi murjhaate nahi....muskuraate hain bas...
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1 comment:
अच्छी कोशिश है..
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