Wednesday, February 20, 2008

खरीदार गर हों आप तो कुछ लुत्फ़ आए हमें भी
यूं सर ए राह इस बाज़ार में खड़े हो बिकने का
वरना मजा क्या ख़ाक है इस भीड़ में गुम होने का ...


1 comment:

Kavi Kulwant said...

अच्छी कोशिश है..