Tuesday, February 19, 2008

सुबह उठते ही अपना चेहरा बदला सा लगा मुझे
निशान अनजानी धड़कनों के मेरी आँखों की दहलीज पर
पीला वसंत आज गुलाबी फागुन सा लग रहा है...
धूप ,तूने क्या उस गुलाबी कांच को पिघलाया था कल...

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