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नीम के साए तले फिर से खिलती मुस्कुराती ....पैंजी....
Friday, February 15, 2008
सड़कों के किनारे खड़े
पेड़ पलाश के बेचारे
सारे साल अकेले से
आज सजे अपने सुर्ख
दहकते फूलों से , इतराते
लहराते ,झूमते...
हवा में कच्चे पत्तों
की महक जो अब मेरी
साँसों में है ....
और वसंत मेरे मन में...
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phool kabhi murjhaate nahi....muskuraate hain bas...
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सड़कों के किनारे खड़ेपेड़ पलाश के बेचारे सारे साल अ...
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