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नीम के साए तले फिर से खिलती मुस्कुराती ....पैंजी....
Sunday, December 16, 2007
आओ और देखो ,
मेरा अकेलापन
सालता है मन को
सूनापन
वो चुप्पी जो तुम्हारे
साथ होने पर थी
लगती कभी अच्छी
अब अपने पैने
नाखूनों से कुरेदती
रहती है मुझ को....
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phool kabhi murjhaate nahi....muskuraate hain bas...
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मेरी शामें बीतती हैंझींगुरों और मछरोंकि युगलबंदी स...
बालकनी से झांकता चाँदमुस्कुराता है मेरी बातों परसो...
आओ और देखो ,मेरा अकेलापनसालता है मन कोसूनापनवो चुप...
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