सोने से पहले हर रोज की तरह
बाल संवारते वक्त अचानक से
महसूस हुआ तुम्हारा छूना मेरी गर्दन को
तुम्हारी आंच से घिर गई हूँ मैं
चंदन अगरू सी तुम्हारी महक ने
मेरे मन की सांकल खट खटा दी है
नींद नहीं आएगी आज रात
यूं ही उठ उठ कर जागती रहूंगी
सोचती हूँ बेकार ही बाल सँवारे आज रात...
Friday, February 29, 2008
Monday, February 25, 2008
Sunday, February 24, 2008
मैं तुम्हारी कोई नहीं पर
तुम जाने कौन हो मेरे
कि तुम्हारे बगैर आज
बिना कृष्ण पक्ष के भी
छिपा है चाँद कहीं दूर
कहीं कहीं दिख जाते हैं तारे
झाड़ियों में छुपे जुगनुयों की तरह
ये रात भी मेरी ही तरह चुप -निस्तब्ध
कुछ नहीं बोलती , मेरी किसी का बात का
जवाब नहीं दे रही ....
कितनी ही बातें मन में आती हैं
कहूँ किस से बोलो जरा
नहीं होते जब तुम, बंद कली की
पंखुरियों से हो जातें हैं मेरे होंठ भी
जो तुम आओ तो चाँद खिले, सूर्य उगे
और खिले मेरे होंठों के फूल ....
तुम जाने कौन हो मेरे
कि तुम्हारे बगैर आज
बिना कृष्ण पक्ष के भी
छिपा है चाँद कहीं दूर
कहीं कहीं दिख जाते हैं तारे
झाड़ियों में छुपे जुगनुयों की तरह
ये रात भी मेरी ही तरह चुप -निस्तब्ध
कुछ नहीं बोलती , मेरी किसी का बात का
जवाब नहीं दे रही ....
कितनी ही बातें मन में आती हैं
कहूँ किस से बोलो जरा
नहीं होते जब तुम, बंद कली की
पंखुरियों से हो जातें हैं मेरे होंठ भी
जो तुम आओ तो चाँद खिले, सूर्य उगे
और खिले मेरे होंठों के फूल ....
Friday, February 22, 2008
Wednesday, February 20, 2008
Tuesday, February 19, 2008
Sunday, February 17, 2008
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