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नीम के साए तले फिर से खिलती मुस्कुराती ....पैंजी....
Sunday, February 17, 2008
उसके हाथों से उसके टूटे ख्वाबों के कांच
समेट कर रख लिए मैंने अपनी पलकों में
और अब मेरे ख़्वाब कतराते हैं मेरी आँखों से .....
1 comment:
36solutions
said...
वाह !
February 17, 2008 at 5:52 PM
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phool kabhi murjhaate nahi....muskuraate hain bas...
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वाह !
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