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नीम के साए तले फिर से खिलती मुस्कुराती ....पैंजी....
Wednesday, February 27, 2008
रात भर नाम तुम्हारा ख़्वाब के लबों पर
सुबह नज़्म एक हसीन मेरी रूह पर
2 comments:
Kavi Kulwant
said...
सुंदर है...
March 26, 2008 at 5:13 AM
Ghalib Ayaz
said...
Wow... Poem ka jawab nahi...
February 23, 2009 at 8:58 PM
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phool kabhi murjhaate nahi....muskuraate hain bas...
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2 comments:
सुंदर है...
Wow... Poem ka jawab nahi...
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