Monday, January 21, 2008

कल रात जब तुम

हँसे थे बदमाशी से

तुम्हारी हंसी चुरा

ली थी चुपके से

रात भर मुट्ठी

में सहेज कर रखी

और सुबह

चाय में डाल

कर घूँट घूँट

पी गयी तुम्हारी

वो बदमाश खनकती

हंसी....

क्यों ?

चीनी जो नहीं थी...






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