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नीम के साए तले फिर से खिलती मुस्कुराती ....पैंजी....
Saturday, January 26, 2008
रूह ये मेरी बेचारी
दबी हुई सी मेरे जिंदा
जिस्म की कब्र में
सांस लेना चाहती है ,
सुनो,
अपनी मिट्टी हटा लो
थोड़ी सी आज ...
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phool kabhi murjhaate nahi....muskuraate hain bas...
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रूह ये मेरी बेचारीदबी हुई सी मेरे जिंदा जिस्म की क...
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