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नीम के साए तले फिर से खिलती मुस्कुराती ....पैंजी....
Wednesday, January 23, 2008
थक गयीं हैं आँखें
इनको जरा सुला कर आती हूँ...
दर्द ,
तुम इंतज़ार करना
जागेंगे हम दोनो साथ
देर तक ....
1 comment:
गौरव सोलंकी
said...
वाह....
January 27, 2008 at 9:52 PM
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phool kabhi murjhaate nahi....muskuraate hain bas...
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