सोचा था कि आज
अपने घर की सारी धूल
सारा धुंधला बासीपन
साफ कर डालूँगी आज ,
आधे दिन तक पोछ्ती
रही हर चीज़ ,हर अलमारी
हर बर्तन , हर किताब.....
सहेजती रही कपड़े
फ्रिज में रखी सब्जियां
रसोई के डब्बे ,टोकरियाँ,
थक गयी , बालों में भी
गर्द इकट्ठा हो गयी
हथेलियों पर बैंगनी
स्याही फ़ैल गयी
एक कांच का जग
भी फोड़ डाला ...
मैं सब कुछ साफ कर
देना चाह रही थी...
और जब नहा कर निकली
तो यूं लगा जैसे सारी गर्द
मेरे सीने में जम गयी है
भूल गयी थी कि साफ
घर को कर सकती थी
कब्र की कितनी मिट्टी
हटाती मैं...लो भुगतो अब ...
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1 comment:
u maintain a good flow... I think u write things in a single go ....... its too simple but too touchy as well .... superb work ...
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